नई दिल्ली 8 मार्च। दिल्ली सरकार के दिल्ली टीचर्स विश्वविद्यालय के पहले कुलपति की चयन प्रक्रिया आजकल सवालों के घेरे में है। माना जा रहा है कि कुलपति के चयन में दिल्ली सरकार ने यूजीसी के नियमों की अनदेखी की है। आरोप प्रोफेसर धनंजय जोशी के दिल्ली टीचर्स विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर नियुक्ति पर उठाए जा रहे है। गौरतलब है कि दिल्ली टीचर्स विश्वविद्यालय दिल्ली सरकार के अधीनस्थ एक विश्वविद्यालय है , जिसमें नियुक्ति दिल्ली सरकार द्वारा की जाती है,माना जा रहा है कि प्रोफेसर धनंजय जोशी की आम आदमी से करीबी होने के कारण उनकी नियुक्ति यूजीसी के नियमों को दरकिनार करते हुए की गई है।
यूजीसी के नियमानुसार “कुलपति “ पद के लिए कम से कम 10 वर्षों का प्रोफेसर का अनुभव होना अनिवार्य है, पर प्रोफेसर धनंजय जोशी के पास सिर्फ 7 वर्षों का अनुभव है। यह भी कहा जा रहा है कि धनंजय जोशी के खिलाफ पूर्व में plagiarism एवं vigilance case भी रहे है।
यह भी कहा जा रहा है कि कुलपति पद का विज्ञापन तक दिल्ली सरकार ने अखबारों में नहीं निकला,और सीधे प्रो धनंजय जोशी की नियुक्ति कर दी गई। नियुक्ति में कही न कही पारदर्शिता का अभाव देखने को मिल रही है।