राकेश डंडरियाल
चित्तोड़खाल 4 अगस्त। जिस बैल ने आपको धरती का सीना फाड़कर किसान बनाया, और आपने उस धरती पर अपनी फसल लहलहाई, फसल का अमृत लिया और जहर उसके भाग्य में लिख दिया ,लगता है कि देवभूमि उत्तराखंड में अब मानवीय संवेदनाओं के लिए कोई जगह नहीं बची है , नहीं तो तस्वीरों और वीडियो में दिख रहे इस बैल को इस तरह से अनजान जगह पर मरने के लिए नहीं छोड़ा जाता। क्रूरता इतनी कि मानवता को हिला दे। क्रूरता की हद को पार करती ये कहानी है अल्मोड़ा जिले के दुरस्त इलाके स्याल्दे ब्लॉक के खिलुगैरी, नजदीक चित्तौड़खाल की।
बताया जा रहा है कि इस बैल को इसके मालिक ने लगभग 7 दिन पहले घाटी में नाइलोन की रस्सी से बांध लिया था। गुरुवार की सुबह जब केनेरी गांव के मान सिंह व बचकोटी बाखली के समाज सेवी सुनील टम्टा किसी मृतक के दाह संस्कार के लिए जा रहे थे , इस दौरान उनकी नजर खिल्लू गैरी स्थित एक गहरी खाई में बंधे इस बैल पर पडी। उन्होंने गहरी खाई में उतरकर नाइलोन की रस्सी से बंधे इस बैल को मुक्त किया।
जिसके बाद राजसत्ता न्यूज़ से बात करते हुए दोनों लोगों ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन को कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना देखने को न मिले, उन्होंने मुख्यमंत्री,से अपील की है कि इस इलाके में कई सालों से एक गौसदन की जरुरत है लेकिन ये काम आज तक नहीं हो पाया है , इलाके में कई गाय व बैल सड़कों पर आवारा घूम रहे है, कोई उनकी देखभाल करने वाला नहीं है, या तो उन्हें जंगली जानवर अपना निवाला बना देता है, या फिर उन्हें इस प्रकार की क्रूरता का शिकार होना पड़ता है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला
05 Jul 2018 को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसमे हाईकोर्ट ने राज्य में हवा, पानी और धरती पर रहने वाले सभी जीवों को विधिक अस्तित्व का दर्जा देते हुए उत्तराखंड के समस्त नागरिकों को उनका संरक्षक भी घोषित किया था । वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने ये फैसला दिया था । कोर्ट ने कहा था कि जानवरों की भी एक अलग शख्सियत होती है। जिंदा इंसानों की तर्ज पर उनके पास भी अधिकार, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होते हैं।
जानवरों के मालिक के लिए क़ानूनी प्रवाधान
आईपीसी की धारा 428, 429 और पीसीए एक्ट की धारा 11 के तहत अगर किसी के भी पास जानवर है तो वो उसका मालिक है।
धारा 428 : पशुओं को मारना और जहर देना या उसे अपाहिज करने पर दो साल की कैद या दंड तथा दोनों दिया जा सकता है ।
धारा 429 : पशुओं को मार डालने, जहर देने या अपाहिज कर देने पर पांच साल की सजा या दंड या फिर दोनों दिया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और धारा 429 के तहत किसी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग करना या प्रताड़ित करना एक संज्ञेय अपराध है. इस तरह के कृत्य के लिए कठोर कारावास की सजा है जिसके लिए 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।