शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका में पूरे मामले को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की गई थी।
नई दिल्ली 16 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय बेंच ने सोमवार को उत्तराखंड के जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिय। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की 3 सदस्यीय बेंच ने याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से अपनी याचिका के साथ उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है. बेंच ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले से ही उत्तराखंड हाई कोर्ट विचार कर रहा है ।
3 सदस्यीय बेंच ने कहा,कि “हम नहीं चाहते कि इन सुनवाई का उपयोग केवल सोशल मीडिया पर साउंड बाइट के लिए किया जाए”. याचिकाकर्ता ने बेंच के सामने तर्क दिया था कि बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण भूमि धंस रही है और और प्रभावित लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की थी.
शंकराचार्य की याचिका में पूरे मामले को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की गई थी. साथ ही उन्होंने तपोवन-विष्णुगड बिजली परियोजना पर रोक की मांग भी की थी. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “12 जनवरी को हाई कोर्ट ने इसी मामले पर आदेश पारित किए हैं. हाई कोर्ट ने विशेषज्ञ कमिटी के गठन पर जवाब मांगा है. सरकार और NTPC को जोशीमठ में निर्माण फिलहाल बंद रखने के लिए भी कहा है. हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को वहीं अपनी बात रखनी चाहिए.”।
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