अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘निलावु कुडिचा सिम्हंगल’ में सोमनाथ ने किया इसका जिक्र
नई दिल्ली। इसरो के मुखिया एस सोमनाथ ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि उनका प्रमोशन पूर्व इसरो चीफ के सिवन ने रोका था। अपनी किताब में उन्होंने लिखा है कि वे नहीं चाहते थे कि मैं संस्था का चीफ बनूं। ये बात उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘निलावु कुडिचा सिम्हंगल’ में इसका जिक्र किया है।
सोमनाथ ने अपनी किताब में चंद्रयान-2 की नाकामी का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि चंद्रयान-2 का मिशन जल्दबाजी के कारण फेल हुआ था। मिशन से पहले किए जाने वाले सभी टेस्ट नहीं हुए थे। आज यानि शनिवार 4 नवंबर को सोमनाथ ने PTI से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि किताब में मैंने अपनी ISRO चीफ बनने तक की यात्रा बताई है। हर इंसान को किसी संस्थान में सबसे ऊंचे पद पर जाने के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वैसी ही समस्याएं मेरे सामने भी आई थीं। उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में आई चुनौतियों के बारे में लिखा है। किसी के ऊपर निजी टिप्पणी नहीं की है। मैं किसी एक इंसान के खिलाफ नहीं हूं।
सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 के फेल होने की घोषणा के समय जो गलतियां हुई थीं, वे छिपाई गई थीं। लैंडिंग के समय कम्युनिकेशन सिस्टम फेल हो गया था, ऐसे में साफ था कि क्रैश लैंडिंग होगी। लेकिन पूर्व चीफ ने यह सच्चाई बताने के बजाय लैंडर के साथ संपर्क स्थापित नहीं किया जा सकता है कि घोषणा की थी। उन्होंने अपनी किताबं में दावा किया है कि जिस दिन चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने वाला था, उस दिन पीएम मोदी ISRO आए थे। उन्हें उनके स्वागत दल के ग्रुप से भी दूर रखा गया था।
चंद्रयान-2 एक भारतीय मिशन था। इसे 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजना था। इस मिशन में ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था, लेकिन रोवर और लैंडर चंद्रमा पर सफल लैंडिंग नहीं कर पाए थे।इसरो के मुताबिक, एक सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण रोवर और लैंडर अपना रास्ता भटक गए थे और चांद की सतह पर जाकर टकरा गए थे।