रुद्रप्रयाग 18 नवंबर । द्वितीय केदार मद्महेश्वर भगवान के कपाट शीतकाल के लिए आज प्रात: 8 बजे विधि-विधान से बंद हो गये है। प्रात: चार बजे मंदिर खुलने के के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किए। इसके पश्चात पुजारी शिवशंकर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर को समाधि पूजा शुरू की तथा भगवान को भस्म, भृंगराज फूल,बाघांबर से ढक दिया। इस तरह भगवान मद्महेश्वर को समाधिरूप दिया गया। इसके साथ ही भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गये। मद्महेश्वर भगवान के दर्शन अब शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में होंगे।
इस अवसर पर मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान,डोली प्रभारी मनीष तिवारी, मृत्युंजय हीरेमठ,सूरज नेगी,प्रकाश शुक्ला, दिनेश पंवार, बृजमोहन सहित रांसी, गौंडार के हक हकूकधारी, तथा वन विभाग सहित प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय, मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने श्री मद्महेश्वर धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं प्रेषित की।
कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली को मंदिर परिसर में लाया गया। इस दौरान भगवान मद्महेश्वर ने अपने भंडार, वर्तनों का निरीक्षण भी किया।इसके पश्चात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के लिए गौंडार प्रस्थान हुई। 19 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी, 20 नवंबर को गिरिया पहुंचेगी। कार्याधिकारी आर सी तिवारी एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि 21 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में श्री मद्महेश्वर मेले का भी आयोजन होता है। मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष साढ़े सात हजार श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए, जिसमें दो दर्जन विदेशी शामिल हैं।