सतपाल महाराज ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भेंट करके पंचेश्वर बांध परियोजना की मंजूरी प्रक्रिया में तेज़ी लाने का किया अनुरोध

देहरादून/नई दिल्ली 22 जुलाई।     प्रदेश के सिंचाई, लोक निर्माण, पर्यटन, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री, सतपाल महाराज ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर भारत – नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना की मंजूरी की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए संबंधित मंत्रालय को निर्देशित करने का अनुरोध किया।

सतपाल महाराज ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस.जयशंकर से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर भेंट कर उन्हें एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होनें बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना की मंजूरी की प्रक्रिया में तेज़ी लाने का अनुरोध करते हुए संबंधित मंत्रालय को इसके लिए निर्देशित करने की बात कही।

महाराज ने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्हें बताया कि, भारत और नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 5040 मेगावाट की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है, जिसकी लागत 50 हजार करोड़ के लगभग है, इस परियोजना में पंचेश्वर बांध के डाउनस्ट्रीम में 300 मीटर ऊंचे पंचेश्वर बांध और 95 मीटर ऊंचे रूपालीगढ़ बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है। मुख्य बांध पर 80 किमी लंबा जलाशय बनेगा, यह परियोजना दोनों देशों के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

सिंचाई मंत्री महाराज ने बातचीत के दौरान विदेश मंत्री से कहा कि, जल्दी से जल्दी इस योजना को प्रारंभ करना चाहिए। उन्होनें बताया कि, पंचेश्वर बांध निर्माण के बाद जहां इसके जलाशय से नेपाल में 1,70,000 हेक्टेयर भूमि और भारत में 2,59,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी, वहीं इस परियोजना से नेपाल और उत्तराखंड के सीमावर्ती जिलों में जबरदस्त समृद्धि आयेगी। उन्होनें कहा कि, पंचेश्वर बांध परियोजना से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को भी मजबूत मिलेगी।

महाराज ने कहा कि, 2024 से पहले पंचेश्वर बांध परियोजना का एमओयू साइन हो जाए इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, पंचेश्वर बांध निर्माण से नेपाल को बड़ा लाभ मिलेगा, जिस प्रकार से भूटान भारत को बिजली बेच रहा है, उसी प्रकार भविष्य में नेपाल भी बिजली बेचकर लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि, आने वाले समय में पंचेश्वर बांध में अनेक पर्यटन गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं, यह पर्यटन का वर्ल्ड डेस्टिनेशन बनेगा, इसके निर्माण से दोनों देशों के बीच रोटी के संबंध और प्रगाढ़ होने के साथ-साथ युवा बेरोजगारों को भी रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।

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