उत्तराखण्ड विधानसभा के विशेष सत्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन - MeraUK.com

उत्तराखण्ड विधानसभा के विशेष सत्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन

देहरादून 03 नवंबर। उत्तराखण्ड विधानसभा के विशेष सत्र में आज राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की मौजूदगी के बीच माहौल में कई तरह की खुशियां घुली-मिली रहीं। सबसे खास, उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष की खुशी थी। एक दिन पहले ही, क्रिकेट में बेटियों के विश्व विजेता बनने की खुशी का भी अलग असर था। इन स्थितियों के बीच, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखण्ड में नारी सशक्तिकरण के प्रयासों की खुले मन से सराहना की, तो माहौल और भी गर्मजोशी से भर गया।

पूरे देश ने महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को प्रोत्साहित करते हुए राष्ट्रपति को अक्सर देखा है। उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना में आधी आबादी के प्रयासों का जिक्र अनिवार्य रूप से होता है। ऐसे में गुजरे 25 वर्षों की समीक्षा करते हुए जिस एक विषय को बेहद महत्वपूर्ण माना जाएगा, वो निश्चित तौर पर महिला सशक्तिकरण का विषय है। राष्ट्रपति ने अपने ही अंदाज में महिला सशक्तिकरण के विषय को प्रभावी ढ़ंग से संबोधित किया। राज्य सरकार के प्रयासों पर अपनी मुहर लगाकर उन्होंने उत्तराखण्ड को खुश होने का एक और मौका दे दिया।

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में राज्य में महिला शिक्षा के विस्तार पर चर्चा की। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी की बात को प्रमुखता से उभारा। पुरानी पीढ़ी की स्वर्गीय गौरा देवी से लेकर नई पीढ़ी की वंदना कटारिया का नाम लिया। उत्तराखण्ड आंदोलन में प्रमुख महिला चेहरा स्वर्गीय सुशीला बलूनी के साथ ही बछेंद्री पाल व राधा भट्ट जैसे प्रमुख नामों का उल्लेख किया। पहली महिला स्पीकर श्रीमती ऋतु खंडूड़ी भूषण की नियुक्ति पर तो राष्ट्रपति की सराहना काबिलेगौर रही। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। राष्ट्रपति ने विधानसभा में महिला सदस्यों की संख्या में वृद्धि की अपेक्षा भी जाहिर की।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का खास तौर पर जिक्र किया। उन्होंने समानता की मजबूत पैरवी करने वाले संविधान के अनुच्छेद-44 का उल्लेख करते हुए यूसीसी लागू किए जाने की चर्चा की। यूसीसी कानून में योगदान करने पर उन्होंने सदस्यों की सराहना भी की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन की शुरूआत बेटियों के विश्व विजेता बनने की बात से की। उन्होंने जैसे ही बेटियों को बधाई दी, तो पूरे सदन के साथ ही राष्ट्रपति ने भी तालियां बजाईं।

 

 

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