डबल इंजन सरकार में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाडियों को पूछने वाला कोई नहीं !

देहरादून 27 मार्च। चमोली जिले की एथलीट मानसी नेगी किसी पहचान की मोहताज नहीं है, मानसी नेगी ने दिसंबर 2022 व हाल ही में तमिलनाडु में संपन्न हुई हुई 82वीं ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक घंटा 41 मिनट में 20 किमी वॉक रेस में गोल्ड मेडल हासिल करते हुए उत्तराखंड का नाम रोशन किया, लेकिन सरकार द्वारा उसकी अनदेखी किए जाने से उसके आंसू छलक आए, जिसके बाद उन्होंने अपनी व्यथा सोशल मीडिया के जरिये सरकार तक पहुंचाई।

मानसी नेगी ने अपने फेसबुक पर लिखा कि ‘ मुझे शुभकामनाएं और समर्थन देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। लेकिन मुझे उत्तराखंड में नौकरी की जरूरत है। मैंने हर बार खुद को साबित किया, लेकिन उत्तराखंड में कोई खेल कोटा नहीं है और ना ही कोई नौकरी का अवसर। मैं अनुरोध करती हूं कि कृपया उत्तराखंड में खेल कोटे की नौकरी का अवसर दें, इससे कई युवा एथलीट बेहतर प्रदर्शन कर और मेडल जीतकर प्रोत्साहित करेंगे।

राज्य खेल पुरस्कारों पर सवाल

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके खिलाड़ियों सुरेंद्र सिंह वल्दिया और सुरेंद्र सिंह कनवासी ने राज्य खेल पुरस्कारों
की खुली आलोचना करना शुरू कर दिया है गौरतलब है कि ये दोनों खिलाडी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके है लेकिन राज्य में उनकी अनदेखी हो रही है। उनका कहना है राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें राष्ट्रपति के हाथों उन्हें सर्वोच्च अर्जुन पुरस्कार मिला पर, राज्य खेल पुरस्कारों में उनकी लगातार अनदेखी की जा रही है।

वल्दिया का कहना है कि उन्होए राज्य खेल पुरस्कारों के लिए वह लगातार आवेदन करते आ रहे हैं, इसके बाद भी उनका सूची में नाम नही हैं। नौकायन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे सुरेंद्र सिंह कनवासी कहते हैं कि राज्य खेल पुरस्कारों में यह नहीं देखा जा रहा है कि उत्तराखंड के लिए किसने क्या किया। हालांकि राज्य खेल पुरस्कार के लिए विभाग की ओर से मानक बनाया गया है, जिसमें ओलंपिक, एशियार्ड वाले को प्राथमिकता दी जाती है। खिलाडियों का आरोप है कि ऐसे लोगों के नाम आगे आ रहे है जिन्होंने एशियन गेम तक नहीं खेला है । हम दोनों अर्जुन अवार्डी कई बार राज्य खेल पुरस्कार के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन राज्य खेल पुरस्कार के लिए उनका नाम नहीं आया। कनवासी बताते हैं कि हर बार नाम न आने से वह थक चुके हैं, यहीं वजह है कि उन्होंने बाद में आवेदन करना भी छोड़ दिया।

पिथौरागढ़ निवासी सुरेंद्र सिंह वल्दिया रोइंग में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सात और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीत चुके हैं। उनके इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें 1996 में राष्ट्रपति ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था । वल्दिया ने 2021 में राज्य पुरस्कार के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला। चमोली जिले के निवासी सुरेंद्र सिंह कनवासी को भी 2001 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रोइंग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांच, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीत चुके हैं। कनवासी बताते हैं, राज्य खेल पुरस्कार के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन पुरस्कार नहीं मिला तो आवेदन करना ही छोड़ दिया।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *