हाकम की जमानत पर सरकार की मंशा पर उठाये सवाल
देहरादून 31 जनवरी। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी हाकम सिंह को मिली जमानत को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंगलवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दसोनी ने कहा की आज प्रदेश के हजारों युवा स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। आज वह तमाम बेरोजगार युवा जिनके साथ हाकम सिंह ने छलावा किया और यूके ट्रिपल एससी भर्ती घोटाले के बाद जिनका भविष्य अंधकारमय हो गया है उनके लिए इससे बड़ी बुरी खबर नहीं हो सकती कि उनके पेट में लात मारने वाला और भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला भ्रष्टाचारी आज सरकार की कमजोर पैरवी की वजह से जेल की सलाखों से बाहर आ गया। दसोनी ने कहा कि आमतौर पर सरकार वैसे तो गरीब या मजलूम की कही जाती हैं परंतु चाहे हाकम सिंह प्रकरण हो या अंकिता भंडारी हत्याकांड उत्तराखंड की धामी सरकार आरोपियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाली सरकार बन गई है ।
दसौनी ने कहा कि यह भी एक अजीब इत्तेफाक है कि एक तरफ इतना बड़ा भर्ती घोटाला जिसके कारण उत्तराखंड राष्ट्रीय पटल पर बदनाम हो गया और हजारों की तादाद में युवाओं का भविष्य खराब हो गया उसका मुख्य आरोपी जेल की सलाखों से बाहर आ जाता है और वहीं दूसरी ओर अंकिता भंडारी हत्या कांड में राज्य सरकार द्वारा बिना अंकिता के परिजनों की सहमति के विशेष लोक अभियोजक को अधिवक्ता नियुक्त करती है, जिससे राज्य सरकार की मंशा साफ परिलक्षित होती है। दसोनी ने कहा कि राज्य सरकार यदि चाहती तो बेहतर से बेहतर वकील अंकिता के गरीब और बूढ़े मां बाप को उपलब्ध करा सकती थी।
दसौनी ने बताया कि इससे पहले भी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता को अपराधियों की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त कर दिया गया था जिसका अंकिता के पिता द्वारा विरोध किया गया तब जाकर दबाव में उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि यह दोनों प्रकरण इस बात को प्रमाणित करते हैं कि राज्य सरकार निश्चित रूप से अंकिता हत्याकांड को कोई दूसरा ही मोड़ देना चाहती है और नहीं चाहती कि इस हत्याकांड का पटाक्षेप हो और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाने की बजाय राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन लगातार आरोपियों को संरक्षण दे रहे है ।उन्होंने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पहले ही क्रिमिनल अधिवक्ता की नियुक्ति की अनुशंसा की है परंतु सरकार अपनी मनमानी करने पर तुली है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट से मुकदमा जारी करने की भी हाईकोर्ट द्वारा राय दी गई है परंतु सरकार ने इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं की । दसौनी ने इसे सरकार की ओर से अंकिता भंडारी हत्याकांड के दोषियों को बचाने का प्रयास बताते हुए कहा कि इससे यह सिद्ध हो गया है की सरकार इस मामले को दबाना चाहती है और किसी प्रख्यात क्रिमिनल अधिवक्ता की जगह लोक अभियोजक की नियुक्ति कर इस मामले में अपराधियों की जीत सुनिश्चित करना चाहती है।दसौनी ने यह भी कहा कि आज प्रदेश में पूरी तरह से कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और अराजकता का बोलबाला है । दसोनी ने कहा कि यह उत्तराखंड राज्य की विडंबना ही कही जा सकती है एक के बाद एक जमानत पर छूट रहे हैं और जनता की लड़ाई लड़ने वाले निर्दोष लोगों को सत्ता पक्ष के लोगों के द्वारा माओवादी करार किया जा रहा है।