देहरादून 18 सितम्बर। आखिरकार भर्तियों में गड़बड़ियों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुप्पी तोड़ ही ली है। रविवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स में स्पष्ट तौर पर लिखा कि वे भर्तियों को लेकर दो महीने तक कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते थे। मगर कांग्रेस के समय स्थापित संस्थाओं में नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत चिंताजनक है।
हरीश रावत ने लिखा कि भावनाएं व्रत तुड़वा देती हैं। मैंने कहा था कि मैं भर्तियों को लेकर 2 माह तक कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जी के विवेक पर मैंने भरोसा जताया था। ऐसी लिस्टें आ रही हैं, कितनी सच हैं, कितनी गलत हैं, मैं नहीं जानता। लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हुआ है। संस्थाएं हमने खड़ी की हैं, चाहे कोई भी विश्वविद्यालय हो। उनमें यदि नियुक्तियां हुई हैं तो चिंताजनक है। संस्थाएं नष्ट हो जाएंगी। मैं तू-तू, मैं-मैं में नहीं पढ़ना चाहता। इसलिए इस सारे प्रकरण से अपने को असंबद्ध करते हुए मैं उन संस्थाओं के प्रमुखों से कहना चाहता हूं कि ईमानदारी से अपनी संस्थाओं में हुई नियुक्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक करें।
उन्होंने लिखा कि केवल कह देने भर से नहीं होगा। नियुक्तियां यदि अस्थाई आधार पर भी हुई हैं या नियुक्तियां किसी आधार पर भी हुई हों, उस सबका ब्यौरा साझा होना चाहिए। मैं व्रत नहीं तोड़ता, यदि मेरे मन पर आघात नहीं लगता। क्योंकि यह संस्थाएं कांग्रेस के कार्यकाल में खड़ी हुई हैं, हम इन संस्थाओं पर गर्व करना चाहते हैं। जब संस्थाएं टूटती व बिखरती हैं तो उसका कितना नुकसान समाज व राज्य को होता है। इसका आभास हमको अधिनस्थ सेवा चयन आयोग में हुई गड़बड़ों से हुआ है न? फिर भी कुछ लोग मेरे दर्द को समझे बिना बुरा-भला कह रहे हैं। खैर विष पीने की मेरी आदत है। वो कहें वो विष मैं पी लूंगा। मगर अब इन संस्थाओं को बचाने के लिए अपने दर्द को मैं नहीं रोक पाया, उसके लिए मैं उत्तराखंड से क्षमा ही मांग सकता हूं।