पंडित नितेश बौड़ाई
देहरादून। विक्रम संवत 2080 का पहला खग्रास सूर्यग्रहण भारतीय पंचांग के अनुसार बैसाख कृष्ण अमावस्या के दिन गुरुवार 20 तारीख को दिखाई देगा। इस दौरान मेष राशि अश्विनी नक्षत्र में रहेगी , जो 20 अप्रैल 2023 को घट रहा है। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अंटार्टिका, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, जापान, उत्तर व दक्षिण कोरिया व दक्षिणी प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा, भारत में सूर्यग्रहण दिखाई नहीं देगा, अतः भारत में सूतक व अन्य धार्मिक कृत्य करना आवश्यक नहीं होगा, गोचर व फलित ज्योतिष की दृष्टि में इस ग्रहण का प्रभाव पूरे विश्व पटल पर व्यापक रूप से देखने को मिलेगा।
सूर्यग्रहण पृथ्वी पर भारतीय समय के अनुसार प्रायः 06 बजे से लेकर 12.30 तक रहेगा। आचार्य वाराह मिहिर के अनुसार बैसाख मास का ग्रहण मेष राशि में हो तो, पूर्वी हिमालय क्षेत्र जैसे नेपाल, तिब्बत, चीन का कुछ हिस्सा, भारत के पूर्वी प्रदेश, आशियान के देश जापान, कोरिया, व दक्षिण प्रशांत सागर के क्षेत्रों पर बड़े प्राकर्तिक बदलाव व आपदाओं का योग बन रहा है, जिसमें जनहानि हो साक्ति है, तथा निकट भविष्य में इन देशों में सत्ता परिवर्तन के भी योग बन रहे हैं।
ग्रहण के बाद विश्व में रोगों का प्रकोप बड़ सकता है। वर्ष 2019 में २६ दिसंबर को धनु राशि में ग्रहण लगा था, उस समय राहु मिथुन राशि पर थे व उच्च के थे और उस ग्रहण के बाद कोरोना महामारी का प्रकोप बड़ गया था, यही स्तिथि इस बार भी बन रही है। ग्रहण के समय, नवांश कुंडली में राहु मिथुन राशि में होंगे, जिस कारण रोगों का संक्रमण एकदम बड़ सकता है। आँख, कान, गला, के साथ पेट में विकार देखने को मिल सकते हैं
तेल, कपास, मोटा अनाज़, सभी प्रकार की दालें, व खाने की चीज़ों में तेज़ी आ सकती है, जिस कारण महंगाई बहुत बड़ सकती है। यह ग्रहणकाल पुरुष के सिर पर रहेगा, जिस कारण जनमानस में वैज्ञानिक सोच का विकास होगा व लम्बे समय से शोध व अन्य गतिविधियों पर कार्य कर रहे लोगों को सफलता प्राप्त होगी। ग्रहण के समय शुक्र वर्ग उत्तम है, जो भौतिक सुखों में वृद्धि, कला, मनोरंजन, सिनेमा से जुड़े लोगों के लिए शुभ रहेगा, समाज में भोगविलाश, वैवाहिक जीवन में प्रेम व आनंद प्राप्त होगा।