देहरादून01 मार्च। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि जनपद चमोली के माणा में ग्लेसियर खिसकने से जिस तरीके से लगभग 55 मजदूरों एवं कर्मचारियों की जान जोखिम में डाली गई वह भयावह व चिन्ताजन घटना है। इस घटना में चार लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यन्त दुखदाई एवं पीड़ाजनक है भगवान से प्रार्थना है कि मृतकों को अपने श्रीचरणों मे स्थान दे और अन्य को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे एवं घायलों के उपचार के लिए निशुल्क उचित व्यवस्थायें की जाय और सरकार मृतकों को तत्काल उचित मुआवजा घोषित करे और प्राकृतिक आपदा में संघर्षपूर्ण तरीके से बचे मजदूरों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थतियों वाला राज्य है और दुर्गम क्षेत्रों में ग्लेसियर खिसकने व भूस्खलन का खतरा लगातार बना रहता है इस बार तो मौसम विभाग पूर्व में ही चेतावनी जारी कर चुका था, उसके बावजूद वहां पर सावधानी क्यों नही बरती गई? यह बड़ा सवाल है और मौसम बिगडने के बावजूद भी वहां पर काम क्यों नही रोका गया? इसका सीधा मतलब है कि बडे स्तर पर लापरवाही हुई है सरकार ने पूर्व में चमोली जिले के रैणी की घटना से भी कोई सबक नही सीखा।
उन्होंने बचाव व राहत कार्य मंे लगे हुए फोर्स के अधिकारियों एवं जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने रातदिन एक कर मजदूरों को सकुशल ग्लेसियर से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को हिमालयी आपदा प्रबंधन पर व्यापक नीति बनाने की आवश्यकता है। जिससे इस प्रकार की घटनाआंे से निपटने एवं रोकने के लिए व्यापक कार्य योजना बनाई जा सके। क्योंकि इस प्रकार की संवेदनशील घटनायें लगतार बढ़ रही हैं उनसे हमें सबक लेकर सिखने की आवश्यकता है।
करन माहरा ने कहा कि जिस अवैज्ञानिक एवं अनियंत्रित तरीके से उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन, भूू धसाव वाले संवेदनशील क्षेत्रों में नदियों से छेडछाड़, मास्टर प्लान के नाम पर निर्माण, अलकनन्दा में रिवर फ्रंट कार्य किये जा रहे है उससे भी पहाडांे का नुकसान हो रहा है। इन सब पर सरकार को संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन संवेदनशील मामलांेे मेे वैज्ञानिकों की राय ली जानी चाहिए ताकि भविष्य मेें इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकें।