देहरादून 25 अगस्त। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में बड़ा झोल हुआ है यह कहना है उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण मेहरा का।महारा ने कहा कि राज्य गठन हुए 22 साल हो चुके हैं लेकिन जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उसको भाजपा राज में हर स्तर पर तार-तार किया जा रहा है ।राज्य के युवाओं के साथ छलावा करते हुए जिस तरह से विधानसभा में बड़े-बड़े नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई है उससे तो यही प्रतीत होता है कि राज्य में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति हो रही है।
मेहरा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन वहां की विधानसभा में भी मात्र 543 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं लेकिन 70 विधानसभाओं वाले छोटे से राज्य उत्तराखंड ने नौकरियां बांटने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पछाड़ दिया है ।उन्होंने बताया कि 85000 करोड़ के कर्ज में डूबे राज्य उत्तराखंड की विधानसभा में कर्मचारियों की संख्या 560 पार पहुँच गई है। महारा ने कहा की जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं उनकी पृष्ठभूमि पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। महारा ने कहा कि जिस तरह से नेताओं ने अपने करीबियों को नौकरी दिलवाने के लिए पैरवी की है वह सरासर उत्तराखंड के युवाओं के साथ पक्षपात ही नहीं बल्कि उनके भविष्य के साथ कुठाराघात है। माहरा ने कहा कि यह सच बात है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी आज विकराल रूप ले चुकी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ पहुंच वाले और बड़े लोगों के सगे संबंधियों को ही मौका दिया जाए।
महारा ने यहां तक कहा की अवसर सबके लिए एक समान होने चाहिए और कोई भी भर्ती हो वह मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पैसा लेकर नौकरी देने की जिस तरह की बातें सूत्रों से निकल कर आ रही हैं यदि उसमें सत्यता है तो यह राज्य के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और घातक है। करण मेहरा ने सिलसिलेवार गिनाते हुए कहा की जिन 129 लोगों को विधानसभा में रखा गया है उनमें से ज्यादातर लोगों की सफेदपोशों के साथ निकटता सर्वविदित है।
किन किन को मिली नौकरी ?
पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ
संगठन महामंत्री अजेय कुमार के पीआरओ
सीएम के दो ओएसडियो की पत्नियां
महरा ने कहा कि यह तो सिर्फ बानगी मात्र है ।प्रदेश अध्यक्ष ने पुरजोर शब्दों में इस तरह की कार्यप्रणाली और परिपाटी की निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य के लिए बहुत ही अधिक चिंतनीय और घातक है क्योंकि यही परिपाटी युवाओं में हो रहे आक्रोश और अवसाद को जन्म दे रही है। माहरा ने कहा की उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के भविष्य के लिए इस तरह की बंदरबांट अच्छे संकेत नहीं है।