देहरादून ०६ मई । केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही पहले दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सपरिवार केदारनाथ धाम पहुंचे। बिजली संकट, अग्नि – जल संकट, बेरोजगारी, महंगाई से जूझ रहे प्रदेश की सुख शांति के बजाए पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम की कराई इस पर भी कोई आपत्ति नहीं परंतु जिस तरह से गर्भ ग्रह में पूजा के दौरान फोटो खिंचवाई गई और इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर उसे वायरल भी किया गया वह घोर आपत्तिजनक है ।
दसौनी ने कहा कि, केदारनाथ धाम में गर्भ ग्रह में बड़ी-बड़ी तख्तियों में साफ शब्दों में अंकित है की अंदर कैमरा ले जाना और उसका फोटो खींचना पूर्णतया वर्जित है, फिर जो नियम सबके लिए हैं उनका पालन मुख्यमंत्री ने क्यों नहीं किया यहां सत्तारूढ़ दल का अहंकार दिखाता है।
दसौनी ने कहा कि, मुख्यमंत्री के ऊपर और भी बड़ी जिम्मेदारी है की वह उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों के नियम व कायदों का ख्याल रखें। दसौनी ने कहा, अगर धाम के तीर्थ पुरोहितों ने कोई नियम बनाए हैं तो सोच समझकर ही बनाए होंगे ऐसे में इन नियमों का अपमान करने का मुख्यमंत्री को कोई अधिकार है।
दसौनी ने कहा कि, वोट बैंक की होड़ में भारतीय जनता पार्टी हिंदू धर्म और धर्म स्थलों की आस्था की भी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
यह राजनीति का निचला स्तर दिखाता है। उन्होनें कहा कि, प्रदेश २०१३ की आपदा को झेल चुका है ऐसे में उस मंजर को याद करते ही हर किसी की रूह कांप उठती है फिर आखिर बाबा केदार शिव शंकर के अवतार हैं, त्रिनेत्रा बाबा केदार क्षणे रूष्टा क्षणे तुष्टा के रूप में जाने जाते हैं। ऐसी में दसौनी ने अनहोनी होने की आशंका जताई। दसौनी ने कहा मुख्यमंत्री से पाप हुआ है और वह भोलेनाथ से प्रार्थना करेंगी कि, शिव शंभू बाबा केदार मुख्यमंत्री को नादान समझ कर उनकी भूल को क्षमा करेंगे। दसोनी ने कहा प्रदेश के चारों धाम हिंदू सनातन धर्म के मानने वालों की आस्था के प्रतीक हैं ऐसे में आस्था के साथ छेड़छाड़ या खिलवाड़ बर्दाश्त से बाहर है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह पश्चाताप स्वरूप अपनी भूल के लिए बाबा केदार से क्षमा याचना करने जाएं।