पंडित नितेश बौड़ाई
कुछ दिनों से समाचार पत्रों के माध्यम से ये खबरें आ रही हैं कि 14 से 16 अगस्त 2023 के बीच बड़ी संख्या में उल्का पिंड गिरने की घटनाएं सामने आएंगी। वैज्ञानिकों के अनुसार इन्हें भारतीय आकाश मंडल में विशेषकर उत्तरी गोलार्ध में ज्यादा स्पष्टता के साथ देखा जा सकता है। इस बार आग के गोले भी दिखाई पड़ने के साथ चमकीले उल्का पिंडों की वर्षा बिना किसी उपकरणों की मदद से देखी जा सकेगी।
खगोलीय घटनाओं में उल्का पिंडों की वर्षा का अपना विशेष स्थान है ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी यह एक प्रमुख खगोलीय घटना है जो मेदिनी ज्योतिष के अंतर्गत आता है, विभिन्न संहिता ग्रंथों में इनके शुभा-शुभ फलों का विवरण मिलता है। 14 अगस्त से 16 अगस्त को भारतीय स्वतंत्रता दिवस का पर्व काल है, इस कारण से भी उल्कापात होना अपने आप में बहुत विशेष घटना है । भारतीय पंचांग के अनुसार 16 अगस्त को अमावस्या तिथि है 13 की रात्रि से 16 की रात्रि तक क्रमशः आद्रा नक्षत्र ,पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र औऱ अश्लेषा नक्षत्र में उल्कापात दिखाई देगा, आचार्य वराहमिहिर के अनुसार दारुण लोग जैसे आदिवासी मछुआरे राजनीतिज्ञ व प्रशंसकों के साथ व्यापारी वर्गों के लोगों को कष्ट हो सकता है, नारद संहिता के अनुसार अमावस्या और चतुर्दशी का उल्कापात रोगप्रद व राष्ट्र अध्यक्षों के साथ राजनीतिज्ञ के लिए अशुभ कारक होता है।
निष्कर्ष :उत्तरी गोलार्ध के देशों में निकट भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं, तथा इस क्षेत्र में के देशों में राष्ट्रीय अध्यक्षों को पीड़ा व कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन व राजनीतिक उठा पाठक हो सकती है, कुछ क्षेत्रों में अशांति व उपद्रव की घटनाएं बढ़ सकती हैं 17 अगस्त को मंगल का राशि परिवर्तन सिंह से कन्या में है, गुरु पर राहु केतु शनि के साथ मंगल की दृष्टि पड़ेगी जिस कारण संक्रामक रोगों का खतरा उत्पन्न हो सकता है तथा किसी भी धर्म के बड़े धर्म गुरुओं को प्राण का खतरा बन रहा है।