जिलाधिकारी पौड़ी ने डल्ला व सिमली पहुंचकर पीड़ित परिवारों से की मुलाकात

पौड़ी18 अप्रैल। जिलाधिकारी डॉ० आशीष चौहान ने सोमवार देर शाम को तहसील रिखणीखाल के ग्राम डल्ला व तहसील घुमकोट के अंतर्गत ग्राम सिमली पहुंचकर बाघ के हमले से प्रभावित/पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उन्होंने सांत्वना दी। उन्होंने डीएफओ को बाघ पकड़ने के लिए दोनों जगहों पर पिंजरे लगाने के साथ ही फॉरेस्ट कर्मियों की गस्त बढाने के निर्देश दिए। वहीं दोनों घटना स्थलों पर वन विभाग, पुलिस कर्मचारी सहित अन्य विभागों के अधिकारी गांव में डटे हैं।

बाघ को पकड़ने के लिए डल्ला गांव में 2 ट्रेंक्यूलाइजर टीमो की तैनाती की जा चुकी है जबकि सिमली के ग्रामीणों की सुरक्षा के दृष्टिगत जिलाधिकारी ने डीएफओ लैंसडौन की अगुवाई में पृथक से एक ट्रेंक्यूलाइजर टीम तैयार करने के निर्देश दिए है। जिलाधिकारी ने कहा कि क्षेत्रवासियों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता में है इसलिए बाघों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने सिमली में बाघ को पकड़ने के लिए आज ही पिंजरा लगाने के निर्देश दिए हैं।

सिमली के ग्रामीणों ने कहा कि बाघ वयस्क है और काफी तंदरुस्त भी है। जबकि इसके उलट डल्ला गांव में लगाए गए ट्रैक कैमरों में बाघ के दो शावक दिखाई दे रहे है जो कि शिकार करने में अनुभवहीन दिखाई दे रहे है। जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांव के आसपास कितने बाघ हैं, इसकी ठोस मॉनिटरिंग करते हुए सटीक जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने स्पष्ट किया जब तक बाघ को पकड़ा नहीं जाता है तब तक गांवों में फॉरेस्ट विभाग के माध्यम से निरंतर गश्त कराई जाए और किसी भी प्रकार का इनपुट मिलने पर इसकी जानकारी तत्काल देना सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से धारा 144 का अनुपालन करने की अपील की साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीणों के पशुओं के लिए चारापत्ती, उनके स्वास्थ्य की देखभाल व खाद्यान्न इत्यादि की आपूर्ति करवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने ग्रामीणों को कहा कि डल्ला गांव की तरह ही सिमली गांव में भी ट्रांक्यूलाइजर टीम तैनात की जाएगी। कहा की बाघ को पिंजरे में कैद करने के लिए पूरी तैयारी की गई है। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को कहा की जब तक बाघ पिंजरे में कैद नहीं हो जाता तब तक गांव में सावधानी के साथ रहें। बाघ के हमले पर अलग-अलग दो स्थानों पर हुई 2 वृद्ध व्यक्तियों की मृत्यु होने पर वन विभाग, पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी बाघ को पिंजरे में कैद करने के लिए गांव में डटे हैं।

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