कुलांटेश्वर/स्याल्दे 13 सितम्बर। प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लाख दावे करे, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के अफसर व उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर लगे हैं । शिक्षा विभाग किस प्रकार से मासूम छात्र-छात्राओं के भविष्य से खेल रहा है इसका जीता जागता उदाहरण है अल्मोड़ा जिले के दुरस्त इलाके में स्थित राजकीय इंटर कालेज कुलांटेश्वर, कहने के लिए तो स्कूल में 12वी तक साइंस पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं , स्कूल में छात्र छात्रों की संख्या भी 350 के पार है, लेकिन अगर कुछ नहीं है तो वो हैं अध्यापक, और वह भी खासकर साइंस पाठ्यक्रम में।
राजकीय इंटर कालेज कुलांटेश्वर में बच्चों को पढ़ाने के लिए 21 शिक्षकों के पद सर्जित हैं लेकिन उपलब्ध हैं मात्र 11 अध्यापक,सबसे बड़ी बात ये कि साइंस के विषय गणित, भौतिक विज्ञान तथा अंग्रेजी पढ़ाने के लिए पिछले 7 साल से अध्यापक नहीं हैं। विद्यालय में गणित के 3 पद ,अंग्रेजी के 2 पद , भौतिक विज्ञान का 1 पद , हिंदी के 2 पद, सामान्य 1 पद पिछले कई सालों से खाली हैं
ऐसा नहीं कि स्थानीय जनता ने विधायक महेश जीना , सांसद अजय टम्टा और प्रदेश के शिक्षा मंत्री धन सिंह का दरवाजा न खटखटाया हो , लेकिन सब जगह से निराशा ही हाथ लगी , थके हारे अभिवावकों ने अगस्त में एक बैठक बुलाई जिसमे अध्यापकों के बगैर चल रहे विषयों पर चर्चा हुई , जनता का कहना है कि हम अपने बच्चों के साथ हो रही नाइंसाफी से परेशान हैं। चुनाव के समय तो जन प्रतिनिधि बड़े बड़े वादे करते हैं लेकिन जीत जाने के बाद गायब हो जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक महिला ने बताया कि अगर बच्चे को दूसरे स्कूल में भी भेजते हैं तो पहले तो वहां भी यही कहानी है, दूसरे बच्चों को कम से कम 10 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ेगा।
प्रदेश का हालत ये हैं कि प्राइमरी लेवल पर ही 10,933 अध्यापकों के पद खाली हैं । प्रदेश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि शिक्षा विभाग को देखने वाला मंत्री धन सिंह खुद डॉक्टर हैं लेकिन उन्हें युवा पीढ़ी को कोई चिंता नहीं है। सांसद अजय टम्टा को इस व स्थानीय विधायक से स्थानीय जनता कई बार इस विषय पर चर्चा कर चुके है लेकिन ढ़ाक के तीन पात।
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